जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने देशभर में आक्रोश और शोक की लहर दौड़ा दी है। मंगलवार, 22 अप्रैल की शाम, कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन क्षेत्र—जिसे ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ भी कहा जाता है—में अज्ञात बंदूकधारियों ने अचानक हमला कर दिया, जिसमें अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों में दो विदेशी नागरिक और कर्नाटक के एक व्यापारी शामिल हैं।
सऊदी अरब दौरा बीच में छोड़ भारत लौटे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो सऊदी अरब के दो दिवसीय दौरे पर थे, हमले की गंभीरता को देखते हुए अपना दौरा बीच में छोड़ तुरंत भारत लौट आए। बुधवार सुबह वे दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे और वहीं से एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विक्रम मिस्री शामिल हुए।
बैठक में पहलगाम हमले के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई, जिसमें सुरक्षा स्थिति, खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट और आतंकियों की तलाश के लिए किए जा रहे कदमों की समीक्षा की गई।
किसने ली हमले की ज़िम्मेदारी?
हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मोर्चा बताया जाता है। TRF ने एक छवि सोशल मीडिया पर साझा कर इस घातक हमले की जिम्मेदारी स्वीकार की। यह हमला 2019 में पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद घाटी में सबसे घातक हमला बताया जा रहा है।
हमला कैसे हुआ?
प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों ने पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमलावरों ने कुछ पुरुषों को अलग कर उनसे ‘कलिमा’ पढ़ने को कहा और जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई। यह हमला एक सुनियोजित नरसंहार प्रतीत होता है, जिसमें आम नागरिकों को निशाना बनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हमले की निंदा करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत कई विश्व नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और संवेदनाएं व्यक्त कीं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से फोन पर बात कर इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और भारत के साथ एकजुटता प्रकट की। वहीं, पुतिन ने इस हमले को “निर्मम अपराध” करार देते हुए कहा कि “ऐसे अपराधियों को दंडित किया जाएगा।”
जम्मू-कश्मीर में बंद का ऐलान
घातक हमले के विरोध में और शोक प्रकट करने के लिए जम्मू और कश्मीर में आज, 23 अप्रैल को पूर्ण बंद का ऐलान किया गया है। सभी स्कूल, दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं। राज्य के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं और शांति की अपील कर रहे हैं।
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राहुल गांधी की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस हमले पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारीक कर्रा से बात की है और स्थिति की जानकारी ली है। राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “यह एक भयानक हमला है, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान गई है। हम सभी एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़े हैं।”
सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति
हमले के बाद से सुरक्षाबलों ने पूरे पहलगाम क्षेत्र को घेर लिया है और आतंकियों की तलाश के लिए तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। ड्रोन और स्निफर डॉग्स की मदद से जंगलों में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों ने एक स्वर में हमले की निंदा की है। पीएम मोदी ने हमले के तुरंत बाद सऊदी अरब से गृह मंत्री अमित शाह से बात की और उन्हें स्थिति की जानकारी दी। अमित शाह तुरंत श्रीनगर पहुंचे और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की।
यह हमला क्यों है चिंताजनक?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला केवल एक क्षेत्रीय घटना नहीं है बल्कि इसके पीछे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश की बू आ रही है। खासतौर पर तब जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस भारत यात्रा पर हैं, इस हमले की टाइमिंग संदेहास्पद मानी जा रही है। इसके अलावा विदेशी नागरिकों को निशाना बनाना भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री का सख्त संदेश
पीएम मोदी ने हमले पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “ऐसे कायराना हमले देश की एकता और अखंडता को नहीं तोड़ सकते। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”





