नई दिल्ली: अमेरिका में पढ़ाई कर रहे सैकड़ों भारतीय छात्रों को उस वक्त बड़ी राहत मिली जब जॉर्जिया की एक संघीय अदालत ने अमेरिका के इमिग्रेशन विभाग द्वारा 133 छात्रों के वीजा और SEVIS रिकॉर्ड को अचानक समाप्त किए जाने के आदेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी। इस फैसले से सबसे ज़्यादा प्रभावित भारतीय छात्र ही थे, जिनमें से अधिकांश F-1 वीजा पर अमेरिका में रह रहे थे और OPT (Optional Practical Training) कर रहे थे।
यह फैसला भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, खासतौर पर तब जब इन छात्रों पर निर्वासन (deportation) का खतरा मंडरा रहा था। जानिए इस पूरे मामले से जुड़ी 6 महत्वपूर्ण बातें—
1. अदालत का बड़ा फैसला: अस्थायी रोक और आदेश
जॉर्जिया स्थित एक संघीय न्यायाधीश ने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) को यह निर्देश दिया कि वे 133 छात्रों के Student and Exchange Visitor Information System (SEVIS) रिकॉर्ड को अस्थायी रूप से बहाल करें। इसके साथ ही अदालत ने यह भी आदेश दिया कि छात्रों की व्यक्तिगत जानकारी को मुकदमे से बाहर किसी भी परिस्थिति में सार्वजनिक या उपयोग नहीं किया जाएगा।
यह फैसला शुक्रवार को सुनाया गया और इसे एक ‘Temporary Restraining Order’ (TRO) कहा गया है।
2. क्या किया था ICE ने? क्यों शुरू हुआ विवाद?
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट और इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने अचानक हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द कर दिए और उनके SEVIS रिकॉर्ड को भी समाप्त कर दिया।
इनमें से बहुत से छात्र पूरी तरह वैध रूप से पढ़ाई कर रहे थे या OPT पर काम कर रहे थे। लेकिन बिना किसी स्पष्ट प्रक्रिया या जानकारी के वीजा रद्द करना छात्रों के लिए चिंता का विषय बन गया।
वकीलों का कहना है कि छात्रों को भेजे गए पत्रों में कोई स्पष्ट नियम या आधार नहीं दिए गए थे।
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3. कितने छात्र हुए प्रभावित? भारतीय छात्रों पर सबसे ज़्यादा असर
ICE के आंकड़ों के अनुसार, 20 जनवरी 2025 से लेकर अब तक करीब 4,736 छात्रों के SEVIS रिकॉर्ड रद्द किए गए।
इनमें से करीब 50% छात्र भारतीय थे। इसके अलावा, चीनी, नेपाली, बांग्लादेशी और दक्षिण कोरियाई छात्र भी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए।
यह आंकड़ा अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा जारी एक सर्वेक्षण पर आधारित है।
4. F-1 वीजा और OPT: क्या है इसका महत्व?
F-1 वीजा अमेरिका का एक गैर-आव्रजन वीजा होता है जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अमेरिकी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने की अनुमति देता है।
इस वीजा के तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद कई छात्र Optional Practical Training (OPT) पर जाते हैं, जो उन्हें अमेरिका में अस्थायी रूप से काम करने की अनुमति देता है।
खास तौर पर STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) कोर्स करने वाले छात्रों को 36 महीने तक OPT की सुविधा मिलती है, जो बाद में H-1B वीजा के लिए आवेदन का रास्ता खोलता है।
5. क्यों रद्द किए गए थे छात्रों के वीजा?
रिपोर्ट के अनुसार, कई छात्रों के वीजा छोटी-छोटी वजहों से रद्द कर दिए गए, जैसे कि ट्रैफिक टिकट, यूनिवर्सिटी के नियमों का मामूली उल्लंघन, या फिर कुछ मामलों में पुलिस रिपोर्ट में नाम आना।
एक मामला तो ऐसा था जिसमें एक छात्र को घरेलू हिंसा का शिकार बताया गया था, और इसी के चलते उसका वीजा रद्द कर दिया गया।
327 मामलों में से सिर्फ दो ही मामले ऐसे थे जो राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े पाए गए।
6. आगे क्या होगा? छात्रों की उम्मीदें और कानूनी प्रक्रिया
इस अदालत के आदेश को छात्र और उनके परिवार एक बड़ी जीत मान रहे हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक अस्थायी राहत है। अभी आगे की कानूनी कार्यवाही बाकी है, जिसमें यह तय होगा कि इन छात्रों को स्थायी रूप से अमेरिका में रहने और पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाएगी या नहीं।
छात्रों की ओर से कई लॉ फर्म्स और मानवाधिकार संगठनों ने भी समर्थन जताया है और इस मुद्दे को गलत तरीके से की गई सरकारी कार्रवाई करार दिया है।
निष्कर्ष: भारतीय छात्रों के लिए बड़ी जीत लेकिन अभी भी अधूरी लड़ाई
इस खबर ने भारतीय छात्रों और उनके परिवारों को थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन यह समस्या अभी पूरी तरह हल नहीं हुई है। वीजा नियमों की पारदर्शिता, छात्रों को उचित कानूनी प्रक्रिया देने और बिना पूर्व सूचना के वीजा निरस्तीकरण जैसे मुद्दे अब वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन गए हैं।
भारत सरकार और दूतावासों से भी उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले में छात्रों की सहायता के लिए आगे आएं और अमेरिका में शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।






